Maa Baglamukhi Bankhandi

Maa Baglamukhi Devi Temple is around approx. 30 km from Kangra District and Hotel shri pitambara Ji is Front of Baglamukhi temple, maa baglamukhi Temple is the most accient Siddha Peeth located in Bankhandi close to both Jwala Ji and Chintpurni Devi Temple. Maa Baglamukhi is one of the 10 Mahavidyas and believed to be the destroyer of all evils. Yellow colour is the most favourite colour of the Goddess (maa baglamukhi). That is why the temple is painted in yellow colour. The devotees do wear yellow attire and yellow desserts (besan ki laddoo) are offered to the deity. People worship the deity to win the legal confrontations, to defeat their enemy, to prosper in business and to win the heart of beloved.

माँ बगुलामुखी

मूल मंत्र

ॐ हल्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिहवां कीलय बुद्धिं विनाशय हल्रीं ॐ स्वाहा |

बगलामुखी मंत्र

ॐ हल्रीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टनाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिहवां कीलय – कीलय बुद्धिं विनाशय हल्रीं ॐ नमः

सुरक्षा कवच का मंत्र

ॐ ह्रीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय हृीं ऊँ स्वाहा |

ॐ हां हां हां ह्रीं बड़ा कवचाय हुम

शत्रुनाशक मंत्र

ॐ बगलामुखी देव्यै ह्रीं ह्रीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु

About Maa Baglamukhi Devi

माँ बगलामुखी मंदिर हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के बनखंडी में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है । सिद्धपीठ माता बगलामुखी के मंदिर में हर वर्ष देश ब विदेश के विभिन्न राज्यों से लोग आकर अपने कष्टों के निवारण के लिए हवन, पूजा, पाठ करवाकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
यह माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान एक रात में की गई थी। जिसमें सर्वप्रथम अर्जुन एवं भीम द्वारा युद्ध में शक्ति प्राप्त करने तथा माता बगलामुखी की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा की गई थी। कालांतर से ही यह मंदिर लोगों की आस्था व श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है तथा वर्ष भर असंख्य श्रद्धालु जो श्री ज्वालामुखी, माता चिंतपूर्णी, नगरकोट इत्यादि के दर्शन के लिए आते हैं, वे सभी इस मंदिर में आकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
इसके अतिरिक्त मंदिर के साथ प्राचीन शिवालय में आदमकद शिवलिंग स्थापित है, जहां लोग माता के दर्शन के उपरांत शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माता बगलामुखी की आराधना सर्वप्रथम ब्रह्मा एवं विष्णु भगवान ने की थी। इसके उपरांत भगवान परशुराम ने माता बगलामुखी की आराधना करके अनेक युद्धों में शत्रुओं को परास्त करके विजय पाई थी।
बगलामुखी जयंती पर मंदिर में हवन करवाने का विशेष महत्त्व है जिससे कष्टों का निवारण होने के साथ-साथ शत्रु भय से भी मुक्ति मिलती है। द्रोणाचार्य, रावण, मेघनाद इत्यादि सभी महायोद्धाओं द्वारा माता बगलामुखी की आराधना करके अनेक युद्ध लड़े गए।
नगरकोट के महाराजा संसार चंद कटोच भी प्रायः इस मंदिर में आकर माता बगलामुखी की आराधना किया करते थे। माता के आशीर्वाद से उन्होंने कई युद्धों में विजय पाई थी। तभी से इस मंदिर में अपने कष्टों के निवारण के लिए श्रद्धालुओं का निरंतर आना आरंभ हुआ और श्रद्धालु नवग्रह शांति, ऋद्धि-सिद्धि प्राप्ति, सर्व कष्टों के निवारण के लिए मंदिर में हवन पाठ करवाते हैं।
माता बगलामुखी के संपूर्ण भारत में केवल दो सिद्ध शक्तिपीठ विद्यमान हैं, जिसमें एक मंदिर मध्य प्रदेश के दतिया में तथा दूसरा हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला के बनखंडी में स्थित है।
लोगों का अटूट विश्वास है कि माता अपने दरबार से किसी को निराश नहीं भेजती हैं। केवल सच्ची श्रद्धा एवं सद्विचार की आवश्यकता है।

Leave Comment